दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने प्राचीन हनुमान मंदिर में पूजा किया
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥२१॥ सब सुख लहै तुह्मारी सरना ।
Toughness: Hanuman is extraordinarily robust, 1 capable of lifting and carrying any stress for just a bring about. He is termed Vira, Mahavira, Mahabala as well as other names signifying this attribute of his. In the epic war amongst Rama and Ravana, Rama's brother Lakshmana is wounded. He can only be healed and his Demise prevented by a herb found in a particular Himalayan mountain.
तुम रच्छक काहू को डर ना ॥२२॥ आपन तेज सह्मारो आपै ।
भावार्थ – श्री सनक, सनातन, सनन्दन, सनत्कुमार आदि मुनिगण, ब्रह्मा आदि देवगण, नारद, सरस्वती, शेषनाग, यमराज, कुबेर तथा समस्त दिक्पाल भी जब आपका यश कहने में असमर्थ हैं तो फिर (सांसारिक) विद्वान् तथा कवि उसे कैसे कह सकते हैं? अर्थात् आपका यश अवर्णनीय है।
[Maha=fantastic;Beera=Courageous; Vikram=fantastic deeds; bajra=diamond; ang=system elements; kumati=lousy intellect; nivara=treatment, clean up, ruin; sumati=superior intelligence; ke=of; sangi=companion ]
अस बर दीन जानकी माता ॥३१॥ राम रसायन तुह्मरे पासा ।
भावार्थ– आपने संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण जी को जिलाया। इस कार्य से प्रसन्न होकर भगवान् श्री राम ने आपको हृदय से लगा लिया।
व्याख्या – जन्म–मरण–यातना का अन्त अर्थात् भवबन्धन से छुटकारा read more परमात्म प्रभु ही करा सकते हैं। भगवान् श्री हनुमान जी के वश में हैं। अतः श्री हनुमान जी सम्पूर्ण संकट और पीड़ाओं को दूर करते हुए जन्म–मरण के बन्धन से मुक्त कराने में पूर्ण समर्थ हैं।
राम लखन सीता मन बसिया ॥८॥ सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा ।
Should you have much more time then It's also possible to chant Hanuman Chalisa 108 times, that's reported to deliver fast success, if carried out faithfully and with purity on the intellect.
व्याख्या – सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार वज्र एवं ध्वजा का चिह्न सर्वसमर्थ महानुभाव एवं सर्वत्र विजय श्री प्राप्त करने वाले के हाथ में होता है और कन्धे पर मूँज का जनेऊ नैष्ठिक ब्रह्मचारी का लक्षण है। श्री हनुमान जी इन सभी लक्षणों से सम्पन्न हैं।
व्याख्या – किसी को अपनी ओर आकर्षित करने के लिये सर्वप्रथम उसके गुणों का वर्णन करना चाहिये। अतः यहाँ हनुमान जी के गुणों का वर्णन है। श्री हनुमन्तलाल जी त्याग, दया, विद्या, दान तथा युद्ध – इन पाँच प्रकार के वीरतापूर्ण कार्यों में विशिष्ट स्थान रखते हैं, इस कारण ये महावीर हैं। अत्यन्त पराक्रमी और अजेय होने के कारण आप विक्रम और बजरंगी हैं। प्राणिमात्र के परम हितैषी होने के कारण उन्हें विपत्ति से बचाने के लिये उनकी कुमति को दूर करते हैं तथा जो सुमति हैं, उनके आप सहायक हैं।
छूटहि बन्दि महा सुख होई ॥३८॥ जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा ।